गंगा मछगंधाह, कुण जाई व्याही कठै।
धुर कुळ अै धंधाह, सरम कठा सूं सांवरा॥
भावार्थ:- गंगा और मत्सयगन्धा को किसने पैदा किया और कहाँ इनका विवाह हुआ। जब घर और कुल के ये ढंग है तो हे कृष्ण! शर्म कैसे रह सकती है?