धर धन्नो चित धीर, अल्प काल आराधियै।

तूं कर धर तप-तीर, सखरी सुण ‘जय’ सीखड़ी॥

स्रोत
  • पोथी : आराधना (आत्म संबोध) ,
  • सिरजक : जयाचार्य ,
  • संपादक : युवाचार्य महाप्रज्ञ ,
  • प्रकाशक : जैन विश्व भारती लाडनूं
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