आसा तज आयाह, पाछा कौरव पावणा।
उण दिन रा दायाह, साझै मोसूं सांवरा॥
भावार्थ:- सब सबलों के बैठे हुए होने पर भी आज यह दुष्ट दु:शासन मुझ अबला की लाज ले रहा है। मेरी पुकार सुनते ही हे श्याम! इस वृद्धों की सभा पर वज्र डाल दो।