बाज बाज मंदळ गै’रै साद, आजरो दिन रळियावणो।

रळियावणो दिन देव कियो, सुगड़ सुर नर आविया।

होर डोर सिणगार कुं कुं, अंग चीर ओडाविया।

मंथरा राणी नै इधको ओपै, रंग जोवै राजिया।

छत्तीस री खरनाळ झालर, फेर मंदळ बाजिया।

नाच-नाच हरिया मोर, आजरो चंदण गैभर्‌यो फेर मंदळ बाजिया।

आंगण भोळी आम्बो बाग, जिण बैठी कोयल रुण-झुणै।

रुणझुणै कोयल भणै भीतर बैस आम्बा डाळ।

माळणी फुलमाळ गुंथी, रुड़ी गुंथी माळ।

सावळै इधक ओपै, भेट करै प्रतिपाळ।

देस देस रा भूप बुलाया, भींव पांडू धुन करै।

धुन करै भींव सरसवणी, नादवेद सुहावणा।

कहै देवो श्याम सेवो, घर घर रळि बधावणा॥

स्रोत
  • पोथी : मरु-भारती (त्रैमासिक) जनवरी ,
  • सिरजक : सिद्ध देवोजी के सबद : सूर्यशंकर पारीक ,
  • संपादक : बसंतलाल शर्मा ,
  • प्रकाशक : बिड़ला एजूकेशन ट्रस्ट, पिलानी (राजस्थान)
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