राजस्थानी सबदकोस

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स्रंगार रो राजस्थानी अर्थ

स्रंगार

  • शब्दभेद : सं.पु.

शब्दार्थ

  • साहित्य के नौ रसों में से एक प्रसिद्ध एवं प्रमुख रस जो रसराज व रससम्राट माना जाता है। वि.वि.--श्रृंगार दो शब्दों के योग से बना है--श्रृंग तथा आर। श्रृंग का अर्थ कामोद्रेक अथवा काम की वृद्धि होता है। दूसरे शब्दों में काम अंकुरित होने को श्रृंग कहते हैं। 'आर' गत्यर्थ 'ऋ' धातु से बना है जिसका अर्थ यहाँ प्राप्ति है। इस प्रकार श्रृंगार कामोद्रेक अथवा काम वृद्धि की प्राप्ति का द्योतक है। साहित्य के नौ रसों में यह प्रधान माना गया है। इसी कारण श्रृंगार को विद्वान साहित्यकारों ने रस सम्राट माना है। इसके मुख्य दो भेद माने जाते हैं--संयोग तथा वियोग। मनुष्य की कामवासना से संबंधित बातों से मिलने वाला आनंद या सुख ही इस रस का मूल आधार है
  • अपने आपको अधिक आकर्षक एवं सुंदर बनाने के लिए सुंदर वस्त्र, आभूषण आदि धारण करने की क्रिया, सजावट
  • किसी मूर्ति, शरीर आदि में ऐसी चीज जोड़ना या लगाना कि वे और अधिक आकर्षक बन जाय