कोश मांय पड़्यो रेवै सबद
सूनी तपती कोख लियां...
खुद रै बांझ हुवणै री ताव में बेहोस!
हरी हुवै कोख तद
गूंजै जद बो किणी
रचना रै पेट मांय...
फेर बा। हुवै कोई प्रेम-कविता तद?