उदयकरण सांदू
सोलहवीं सदी रै सिरै कवियां में शुमार। गिरि-सुमेल रै जुद्ध में राव मालदेव कानी सूं लड़तां थका काम आया। फुटकर डिंगल गीत मिळै।
सोलहवीं सदी रै सिरै कवियां में शुमार। गिरि-सुमेल रै जुद्ध में राव मालदेव कानी सूं लड़तां थका काम आया। फुटकर डिंगल गीत मिळै।
उदयकरण सांदू सोलहवीं सदी रै सिरै कवियां में शुमार उदयकरण सांदू रो जलम खूंडाल़ा (नागौर)रा सांदू गोयंददास रै घरै हुयो। जोधपुर राव मालदेव रै प्रमुख सेनानायकां में उदयकरण री गिणत करी जावै। इणसूं आ बात प्रमाणित हुवै कै उदयकरण कवि रै सागै -सागै एक वीर ई हा। कवि कुंभकरण सांदू उदयकरण नै बत्तीस विरद धारी वीर रै रूप में बखाण्या है। गिरि-सुमेल रै जुद्ध में राव मालदेव कानी सूं लड़तां थकां उदयकरण वीरगति प्राप्त करी। दुजोग सूं आपरा फुटकर डिंगल गीत ई मिळै। वीर अखैराज राठौड़ री वरेण्य वीरता नै उद्घाटित करतो आपरो एक गीत उपलब्ध है।जिणसूं अनुमानित हुवै कै उदयकरण सांदू री भाषा ठोस अर प्रांजल़ ही।