अंग पवन उगटै गादह ही जव चरै घर विरोध धूर थियां झालि सत ज्यूं पति रहै करे कमळ काळकूट लिखत वात नह मिटै मानव किसा जगि न्यात किसी मछगंध सिद्धहि तिकै उदैराज ऋद्धि विण माणस किसो