तिहणराव रतनू
पंदरहवैं सईकै रा कवि। कविता री भासा प्रवाहमय अर सुघड़।
पंदरहवैं सईकै रा कवि। कविता री भासा प्रवाहमय अर सुघड़।
अनेक राजस्थानी चारण कवि रो कोई प्रमाणिक इतिहास नीं मिलै। क्यूंकै इणां माथै संजीदगी सूं किणीपण अजै काम कियो नीं। जिणसूं इण कवियां साथै न्याय नीं हुयो। ऐड़ा ई एक नामचीन कवि हुया तिहणरावजी रतनू। तिहणराव रतनू पंदरहवैं सईकै रा नामचीन कवि हा। आपरो जलम आसरावजी रतनू रै घरै हुयो। आप जैसलमेर साकै रा महानायक दुर्जनसाल (दूदा) रा हरोळ सहायक हा। जद रावळ दूदा अर उणां रा भाई तिलोकसी जुद्ध में अदम्य वीरता बताय वीरगति वरी तद आप उण वीरां री वीरता रा वारणा लेतां गीत लिख्या। नैणसी आपरी ख्यात में उण गीतां नै संदर्भ में दिया है।
तिहणराव री भाषा माथै पकड़ है जिणसूं कवि भावां रै मुजब भाषा परोटण में खामची है। भाषा प्रवाहमय अर सुघड़ रै सागै ई संप्रेषणीय है। दुजोग री बात आ है कै आपरी रचनावां घणी देखण में नीं आई। इण पेटे काम करणिया जे नेठाव सूं काम करै तो तिहणरावजी री रचनावां मिल सकै।