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ताड़केश्वर शर्मा

ताड़केश्वर शर्मा

  • जलम: 1891
  • jaipur

सुतंतरता सेनानी, क्रांतिकारी कवि अर सांतरा पत्रकार।

ताड़केश्वर शर्मा रौ परिचय

जन्म: झुंझुनू,भारत

राजपूताना अर सेखावाटी खेतर रा आगीवांण सुतंतरता सेनानी अर लूंठा क्रांतिकारी कवि पं. ताड़केश्वर शर्मा रौ जन्म संवत 1969 मांय झुंझुनूं जिलै रै पचेरी बड़ी गांव में हुयौ। वां रा पिता पंडित लेखराम शर्मा ई उण बगत रै सिरै क्रांतिकारियां में गिण्या जावता। इण भांत सूं ताड़केश्वर नै देस री आजादी सारू जूझण री हूंस घर सूं ई मिळी। वां री सरूआती भणाई गांव में हुई अर पछै वै ऊंची भणाई सारू बनारस भेजीज्या। पं. ताड़केश्वर नै राजस्थानी साथै हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू अर संस्कृत भासावां रौ चोखौ ग्यान हो। भणाई कर्‌यां पछै वै सेखावाटी खेतर में चाल रैया आजादी आंदोलन में सामल हुया अर इणनै आपरौ मारगदरसण देवण लागग्या। वां सन् 1929 में ग्राम समाचार नांव सूं हथलिख्यो अखबार ई सरू कर्‌यो जिणमें देस भर में चालती आजादी री मुहिम री खबरां छपती। वै सन् 1930 में नमक सत्याग्रह में अजमेर सूं सामल हुवणिया पैला सत्याग्रही बण्या। सन् 1932 आवतै-आवतै सेखावाटी रौ किसान आंदोलन जबरी गति पकड़ी जिणमें वै आपरो मारगदरसण पैलां सूं ई देय रैया हा। उण बगत री रियासती प्रताड़ना रै कारण ताड़केश्वर नै सेखावाटी खेतर अेकर छोडणौ पड्यो पण वां आपरै भीतर आजादी सारू जूंझण री भावना नै मगसी नीं पड़ण दी। वै आगरा जाय पूग्या अर उठै गणेश नांव रै पखवाड़ियै क्रांतिकारी अखबार नै छापणौ सरू कर्‌यो। इण अखबार रै मारफत ताड़केश्वर राजपूतानै री रियासतां में जागीरी जुल्म नै जथारथ रूप में साम्हीं लावण रा जतन कर्‌या। आजादी रै संघ्रस में भागीदारी रै साथै-साथै वै समाज रौ नैतिक उत्थान करण रा काम ज्यूं— हरिजन सिक्षा, सराब बंदी अर छुआछूत मिटावण जैड़ा काम ई कर्‌या। आजादी हासल करण सारू आपरी गतिविधियां रै कारण वां नै राज री ताड़णा ई घणी सैवणीपड़ी अर वांनै घणी बार जेळ में बंद कर्‌यो गयौ। वां री जमीन तक जब्त ई करीजी पण वैआजादी पावण री मुहिम सूं लगोलग जुड्या रैया। पं. ताड़केश्वर आपरै जीवतै—जी सोसणमुगत समाज री थरपणा करणै सारू खपता रैया। वै अेक जुझारू सुतंतरता सेनानी, क्रांतिकारी कवि अर सांतरा पत्रकार रै रूप में सदैव आदरीजैला। वां जनता में चेतना रै प्रसार सारू मौकळा जागरण गीत रच्या जिका उण बगत सभावां में भेळा रूप में गाया जांवता। पं. ताड़केश्वर रै इण गीतां अर कवितावां री भासा घणी सरल अर लोक सूं जुड्योड़ी है। वां री कवितावां लोक नै काव्य सूं जोड़ण वाळौ अेक सांतरो रचाव मान्यौ जा सकै।