Anjas
सुमनेश जोशी

सुमनेश जोशी

सुमनेश जोशी रौ परिचय

राजस्थान रा स्वतंत्रता सेनाणी, क्रांतिकारी, राष्ट्रीय जनकवि श्री सुमनेश जोशी रो जनम 3 सितंबर, 1916 नै जोधपुर रै अेक साधारण पुष्करणा ब्राह्मण परिवार में हुयो। 14 बरसां री काची उमर में पिताजी रो सुरगवास हो जावण सूं घर रो सारो भार इणां रै माथै आयग्यो। जोशीजी परिवार रै पाळण-पोषण रै सागै-सागै भणाई-लिखाई करता रैया। साहित्य रै अलावा दरसण, मनोविज्ञान, समाजशास्त्र अर इतिहास से गैरो अध्ययन कर्यो। राज री नौकरी लागग्या अर मैणत, लगन रै पाण थोड़े-सै बगत में ईज राज्य रै प्रसार अधिकारी रै पद माथै बिराजग्या।

श्री जोशी नैं देस-सेवा री प्रेरणा लोकनायक जयनारायण व्यास सूं मिली। विद्यार्थी जीवण सूं लेय’र सरकारी नौकरी होवता थकां जोधपुर रा राजनीतिक जळसां में लगोलग भाग लेवता रैया अर सन् 1936 तांई श्री जोशी उग्र अर क्रांतिकारी राष्ट्रीय कवि रै रूप में राजपूतानै-भर में लोकचावा होयग्या।

श्री जोशीजी पूरै देस में घूम-घूम'र आपरी रच्योड़ी क्रांतिकारी अर राष्ट्रीय हित री कवितावां-गीतां सूं आजादी री अलग जगाई, जिणसूं अंग्रेजी सरकार बौखळागी अर जोशीजी रै कविता लिखण अर जनमानस रै बिचाळै पाठ करण पर रोक लगा दी। इण कारण इणां 1 जुलाई, 1942 ने नौकरी सूं त्यागपत्र देय’र आजादी री बागडोर आपरै हाथां में ले ली अर गांवां में घूम-घूम’र आजादी सारू लड़णियै सिपायां नूंवी फौज खड़ी कर दी।

1946 में जोधपुर सूं 'रियासती' नांव रै अेक दैनिक-पत्र रो प्रकासन अर संपादन कर्यो। इणरै सा’रै सूं जागीरी प्रथा अर वंस-परंपरागत राजतंत्र से विरोध कर्यो।

सामंती जुलमां सूं रात-दिन टक्कर लेवण वाळा सुमनेशजी नैं क्रांति है। गीतां रै अलावा दूजो कीं लिखण री फुरसत ई कठै ही। इणां रा गीत आजादी सारू लड़णियै सिपायां री जीवण-जड़ी ज्यूं हा। जद भी इणां रै मूंढै सूं खीरा-सा धधकता गीत गाया जांवता तो क्रांति री लपटां गांव-गांव मांय फैलती ही।

पण आजादी मिल्यां पछै भी इणां रो जोस कम नीं हुयो। वाणी में बो ईज ओज अर उछाह हो। आजादी रै पछै देस रे नूंवै निर्माण रा गीत लिख्या। इणां रै गीतां मांय हिम्मत, मरदमी, आस-विस्वास अर उछाह भर्यो है। 

श्री सुमनेश जोशी री आज तांई 38 सूं बेसी पोथ्यां प्रकासित हो चुकी है। अर 60 पोथ्यां रो प्रकासण बाकी है।

इणां रै गीतां रो संगै राजस्थान सरकार रै सार्वजनिक सम्पर्क कार्यालय सूं निकळ्यो है। राष्ट्रदूत अर आयोजन नांव री पत्रिकावां रो सांगोपांग संपादन आप कर्यो। इणरै अलावा राजस्थान है स्वतंत्रता सेनाणियां रै इतिहास रो अेक मोटो ग्रंथ जोशीजी छाप्यो हो।

इण स्वतंत्रता सेनानी अर जनकवि रो सुरगवास जयपुर में हुयो।