संत यशोधर
मध्यकाल रा चावा जैन संत
मध्यकाल रा चावा जैन संत
मध्यकाल रा चावा जैन संत कवि यशोधर रै जन्म अर देवलोक हुवणै रै बाबत घणी पुख्ता जाणकारी नी मिळै पण वां रै समकालीन जैन संत कवियां रै कालखण्ड मुजब यशोधर रौ जलम लगैटगै संवत् 1520 में हुयौ हो। वै संत सोमकीर्ति अर विजयसेन री सिस्य परम्परा सूं जुड्योडा हा। संत यशोधर नेम-धरमी आचरण रा हा अर आपरै आखै जीवण में पांच वरतां री पालना करी। धरम रै प्रचार-प्रसार सारू वां गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र अर उत्तरप्रदेश मांय भ्रमण कर् यो अर साधारण जन नै खुद रा रच्योड़ा पद मीठै गळै सूं गाय’र् सुणांवता। यशोधर रौ रच्योड़ौ काव्य नेमिनाथ माथै आधारित है। वां रै काव्य री भासा मीठास अर रस सूं भर् योड़ी है अर भाव पूगता करण में घणी समरथ है। यशोधर नेमिनाथ गीत, मल्लीनाथ गीत अर बलिभद्र चौपइ आद रचनावां रौ सिरजण कर् यो। मध्यकालीन राजस्थानी जैन काव्य में वां रो योगदान घणौ महताऊ रैयो है।