Anjas

संत सुमतिकीर्ति

मध्यकालीन जैन सैली रा कवि।

संत सुमतिकीर्ति रौ परिचय

मध्यकालीन जैन सैली रै काव्य में संत सुमतिकीर्ति रौ नांव घणै आदर साथै लियौ जावै। सुमतिकीर्ति भट्टारक ज्ञानभूसण रा सिस्य हा अर वै ज्ञानभूसण रै पछै भट्टारक री गादी रा अधिकारी हा पण धरम प्रचार अर साहित्य साधना नै सिरै मानता वां उण गादी नै धारण नीं करी। सुमतिकीर्ति आखै जीवन धरम रो प्रचार अर साहित्य सिरजण करता रैया। वै संस्कृत, प्राकृत, गुजराती अर राजस्थानी भासावां रा लंठूा

जाणीजाण हा अर वां कैई ग्रंथां रौ सिरजण कर्यौ। वां दो टीका ग्रंथ कर्म काण्ड टीका अर पंचसंग्रह टीका री रचना करी अर छः रै लगैटगै सुतंतर रचनावां रौ सिरजण कर्‌यो। वां री खास रचनावां में धरम परीक्षा रास, जिनवर स्वामी वीनती, जिह्वा-दतं विवाद, वसंत विद्या-विलास, पदावली अर सीतलनाथ गीत

उल्लेखजोग है। संत सुमतिकीर्ति री रचनावां री भासा-सैली घणी सरल अर प्रभावी है अर पाठकां माथै

अणूतो असर करै। मध्यकालीन जैन साहित्य में संत सुमतिकीर्ति रौ साहित्यिक योगदान हरमेस याद राख्यौ जावैला।