Anjas

संत दरियाव जी

  • 1676-1758
  • Marwar

'रामस्नेही संप्रदाय' री रैण शाखा रा प्रवर्तक। घणकरी रचनावां निर्गुण निराकार राम री साधना अर गुरु महिमा सूं सम्बंधित; साथै ही आत्मसाक्षात्कार जनित अनुभवां ने साखीयों अर पदों में व्यक्त करिया है।