सबळदान सांदू
उत्तरमध्यकाल रा अग्यात कवि।
उत्तरमध्यकाल रा अग्यात कवि।
नागौर जिलै रै सीहू गांव मांय जलम्या सबळदान सांदू उत्तरमध्यकाल रा सांतरा पण अग्यात कवियां मांय गिण्या जावै। वां रै जीवण-बिरतांत बाबत अजेस पुख्ता जाणकारी नीं मिळी है। वै राव इन्द्रसिंघ रा आश्रित कवि हा। आपरै बगत रै डिंगळ कवियां मांय सबळदान खास ठौड़ राखता। वां री अेक रचना ’राव इन्द्रसिंघ री झमाळ’ घणी चावी है जिण मांय नागौर रा राव इन्द्रसिंघ अर अजीतसिंघ रै बिच्चै हुयै जुद्ध रौ वरणन करीज्यौ है। इण रचना रै टाळ सबळदान कैई डिंगळ गीतां री रचना ई करी। वां री काव्य-भासा घणी सहज अर ओज गुण सूं भर्योड़ी है। राजस्थानी डिंगळ काव्य मांय सबळदान रौ योगदान घणौ महताऊ रैयो है।