रेवतदान चारण कल्पित
ख्यात कवि अर समाजवादी। जनकवि रै रूप में पिछाण। 'इंकलाब री आंधी' अर 'लिछमी' कविता उलेखणजोग।
ख्यात कवि अर समाजवादी। जनकवि रै रूप में पिछाण। 'इंकलाब री आंधी' अर 'लिछमी' कविता उलेखणजोग।
जन्म: 05 Apr 1924 | मथाणियां,भारत
निधन: 17 Jun 1997
रेवतदान चारण 'कल्पित' रो जनम जोधपुर जिलै रै गांव मथाणिया में 5 अप्रेल 1924 नै श्री भैरूदानजी रै घरै हुयो। इणां सरूपोत री भणाई गांव मथाणिया में कर्यां पछै जोधपुर विश्वविद्यालय सूं बी. अे., अेल अेल. बी. करी। रेवतदानजी सरूपोत सूं ई विद्रोही छात्र-नेता हा। आं रो प्रभाव विद्यार्थियां अर समाज माथै घणो जबरो हो। आप चुणावां में मोकळी रुचि राखता अर क्रांतिकारी विचारधारा रै कारण आपरी अेक खास ओळखाण ही। जठै भी अनाचार निजर आवतो बठै ई विद्रोह रो परचम फेराय देवता।
सन् 1939 सूं 1947 तांई स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लियो अर आपरी कवितावां जन-जागरण रो महताऊ काम कर्यो। आप आजादी री लड़ाई में अेक निडर लेखक-जोधा रै रूप में साम्हीं आया। सामंती सासन-व्यवस्था में पिसतै मिनखां सूं इणां री घणी हमदर्दी ही। रेवतदानजी चारण आपरै गांव में बाबूजी रै नांव सूं ओळखीजता, क्यूंकै आप कीं बगत तांई गांव मथाणिया में रेलवे रै बाबू रो काम कर्यो। सन् 1952 में विधानसभा से चुणाव ई लड़्यो अर 1960 सूं 1977 तांई मथाणिया गांव रा सरपंच रैया। रेवतदान राजनीति रा लूंठा खिलाड़ी अर कविता रा सबळा कारीगर हा। राजस्थानी भासा नैं मंचां पर साबासी दिरावण वाळै कवियां में इणां रो नांव सिरै पंगत में आवै।
वांरी रचनावां में सैसूं पैली 'धरती रा गीत' अर उणरै पछै ‘चेत मांनखा', 'उछाळौ', 'नेहरू नैं ओळबौ', 'बीघोड़ी', 'निदाण', 'पिणघट', 'पांणत', 'पांणतियौ', 'हळसोतिया', 'इंकलाब री आंधी' आद कवि री सांगोपांग कवितावां है।
'उछाळौ' काव्य नैं 1990 में केंद्रीय साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली रो पुरस्कार मिल्यो। इणरै अलावा आप राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर; नव चेतना, सिरोही; राजस्थान रत्नाकर, दिल्ली; भारतीय विद्याभवन, जोधपुर अर राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर सूं सम्मानित हुया। 17 जून 1997 नै रेवतदान चारण कल्पित इण दुनिया सूं व्हीर व्हैग्या।
श्री रेवतदान चारण रै गीतां अर कवितावां रा विषय अेक जैड़ा ईज है। घणकरी कवितावां में सामंती शासन व्यवस्था में पिसतै मिनखां सूं आंनै घणी हमदर्दी ही। सोसित करसा इणां री लेखणी रा नायक हा। करसा ई इण धरती रा धणी है। सामंता अर साहूकारां सूं चुसीज्योड़े किसानां अर मजूरां रै रगत सूं छळकतै आं रै गीतां में क्रांति रो जोसीलो सनेसो भर्यो है। गांवां अर खेतां रै पिछड़ापणै माथै रच्योड़ा अै गीत साफ बतावै कै गीतकार उण जीवण में रसिया-बसिया है।