रामस्वरूप किसान
सिरैनांव कवि-कहाणीकार। तिमाही पत्रिका 'कथेसर' रा संपादक। 'बारीक बात' कहाणी संग्रै सारु केंद्रीय साहित्य अकादमी रो सिरै पुरस्कार।
सिरैनांव कवि-कहाणीकार। तिमाही पत्रिका 'कथेसर' रा संपादक। 'बारीक बात' कहाणी संग्रै सारु केंद्रीय साहित्य अकादमी रो सिरै पुरस्कार।
जन्म: 14 Aug 1952 | हनुमानगढ़,भारत
राजस्थान प्रदेस रै उतराधै सींवाडै में राजस्थानी साहित्य में प्रगतिसील चेतना रा हिमायती रचनाकार रामस्वरूप किसान आपरै नांव रै मुजब खेती किसानी ई करै। रामस्वरूप किसान री कवितावां समकालीन भारतीय भासावां में ठावी ठौड़ राखै। आपरो जलम 14 अगस्त, 1952 नै हनुमानगढ़ जिले रै परलीका गांव में हुयो अर अबार आप परलीका गांव में ई रैवास करौ। हळ अर कलम दोन्यूं नै रामस्वरूप किसान बरोबर बरतै अर आपरी खेचळ नै लोक री सांवठी जमीन पर उकेरता बगै।
रामस्वरूप किसान राजस्थानी भासा मानता आंदोलण रा लूंठा सिपाही अर जनजागरण रा आगीवाण ई है।किसान रै कन्नै राजस्थानी भासा री निजू मठोठ अर सांस्कृतिक मुहावरो है। किसान वर्ग री जूण जातरा री अबखायां अर मांदगी रामस्वरूप किसान रै रचनाकर्म नै सबड़क अनुभूत साच रै उपरांकर काढै। राजस्थानी भाषा आंदोलण रा अग्रदूत, गद्य-पद्य रा जबरा लिखारा किसान कथेसर रा मौजूदा संपादक है।
पद्य में आपरो काम राजस्थानी रै साथै-साथै हिन्दी में ई खासो गीरबैजोग है। आपरा प्रमुख कविता संग्रे 'हिवड़े उपजी पीड़', 'कूक्यो घणो कबीर, 'आ बैठ बात करां', 'म्हैं अन्नदाता कोनी' है। आपरी लांबी कविता 'गाँव की गली-गली' हिन्दी में है अर वा निरवाळी ओळखाण राखै। किसान आपरी कवितावां में आडम्बर अर कृत्रिमता सूं दूर एक देसज अर निरमळ सांस्कृतिक भावबोध नै रचै जिणसूं राजस्थानी जनजीवण अर मानखै रा सांवठा चितराम साम्ही आवै। राजस्थानी कहाणी जातरा रामस्वरूप किसान री सार्थक हाजरी सूं आपरी मुकम्मल ठौड़ मांय पूगती निगै आवै।
सन् 2019 में आपरो कहाणी संग्रै 'बारीक बात' आपरी निकेवळी कहन सैली रै पाण केन्द्रीय साहित्य अकादमी, नई दिल्ली रै पुरस्कार सूं आदरीज्यो। आपरो पेलो कहाणी संग्रै 'हाड़ाखोड़ी' सगळै राजस्थानी भावबोध री चडूड़ बानगी चौड़े ल्यावै। इण संग्रै माथै राजस्थानी भाषा साहित्य संस्कृति अकादेमी, बीकानेर रो मुरलीधर व्यास सम्मान 2002, कोटा रो गौरीशंकर कमलेश पुरस्कार 2001 अर बैजनाथ पंवार सम्मान ई सूंपीज्यौ। आपरो तीसरो कहाणी संग्रै 'तोखी धार' राजस्थानी साहित्य में नूंवै ढाळै री परंपरा रो सूत्रपात करै। आपरी 'हाडखोड़ी' सिरैनांव कहाणी पाथी रो पंजाबी भासा में ई उल्थो छप चुक्यो है। कुल मिला'र रामस्वरूप किसान रो रचनाधर्म आपरी व्यापक पाठकीय दीठ अर विगसाव रै कारण जाणीजै। किसानजी रो एक राजस्थानी लघुकथा संग्रै ई 'सपनै' रो सपनो' सिरैनांव सू छप चुक्यो है। आप संपादन, उल्थो कहाणी लेखन, कविता अर आंदोलण रै साथै-साथै लूंढै पाठकवर्ग में पढीजणवाळा रचनाकार है, जिण में आपरी सबड़क लेखनी रा पड़बिंब देख्या जा सकै।
वां रवीन्द्रनाथ टैगोर रै बांग्ला नाटक 'रक्तकरबी' रो राजस्थानी भासा में 'राती कणेर' रै नांव सूं उत्थो करियो। आपरी कहाणी 'दलाल' रो ई अंग्रेजी अनुवाद 'द ब्रोकर' क्राइस्ट यूनिवर्सिटी, बैंगलोर (कर्नाटका) में पढाइजै। राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय, उदयपुर रै पाठ्यक्रम में आपरो कविता संग्रै 'आ बैठ बात करां' राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर अर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, अजमेर रै पाठ्यक्रम में कहाणी 'गाय कठै बांधूं' सामल करयोड़ा है। साहित्य अकादमी, नई दिल्ली री राइट्रस इन रेजीडेंसी' योजनान्तर्गत छपी कहाणी पोथी 'तीखीधार' राजस्थानी कहाणी जातरा में एक नवो पांवडो है। पैसठ री उमर में हाड़ तोड़ मेहनत करतो ओ रचनाकार आपरी रचनावां रै मारफत लोक रै खातर हथियार सूंपै जिणसूं दागल अर रोगली व्यवस्था माथै आत्मचेतना रा कारतूस दागण री ऊरमा मानखो बपरावै। शॉर्टकट अर गळत मारग बपरायेड़ी हवाई ख्याति सूं अळघा रामस्वरूप किसान सूक्ष्म अर मनोवज्ञानिक भावबोध रा रचनाकार है।