परसजी खाती
स्वामी रामानंदाचार्यजी रै पौत्रशिष्य अर राजर्षि पीपाजी रां शिष्य। राजस्थान रै प्रसिद्ध संत-भगवंत रा परम भगत।
स्वामी रामानंदाचार्यजी रै पौत्रशिष्य अर राजर्षि पीपाजी रां शिष्य। राजस्थान रै प्रसिद्ध संत-भगवंत रा परम भगत।
संत परसजी खाती गागरौन रा राजर्षि पीपाजी रा प्रधान सिष्य हा। इण रो सबूत परसजी आपरी साखी मांय इण भात देवै-
पीपा परस पटंतराँ, हूवा मूल धुराँह।
हीरै हीरौ बेधिया, प्रगटी जोति घराँह॥
पीपाजी री सरणं में जाय'र म्हैं परस म्हारे मूल रूप सूं पीपाजी जैडो़ होय गियो। हीरे जैड़ा राजर्षि पीपाजी म्हारे जैड़े परस ने आपरी सरणां में लेय'र आपरै अनंत ज्ञान सूं बिंध नै बहुमूल्य हीरो बणा दियो। परस जैडे़ हीरे रूप में म्हाने ज्ञान रूपी ज्योति म्हारे घर में ही प्रगट हुई। म्हानै परमात्मा री प्राप्ति बिना जोग धारण किया अर बिना घर बार छोड्या ई हुयगी।
संत परसजी खाती नागौर जिले रै मेड़ता रै लगैटगै 'कलरु' गांव रा रैवण वाळा जगचावा गृहस्थ संत कवि हा। आपरी प्रसिद्धि रौ प्रमाण इंण बात सूं भी मिलै है कि आपरै खेत्र रा खाती जाति रा लोग आपरै नांव रै लारै खुद ने पारसवंशी कैवण लाग गिया। संत साहित्य में आपरौ सबसूं पहलां जिक्र नाभादास रै भक्तमाल में हुयौड़ो है। इण रै पछै राघव दास जी दादूपंथी रै भक्तमाल मांय भी दो छंद छप्योड़ा है। राघवजी रै भक्तमाल में आपरौ बखांण इंण भांत है-
मरुधर कलरु गाँव परस जहाँ प्रभु को प्यारौ।
सतवादी सूतार कर्म कलजुग तैं न्यारौ।
ता बदले तन धारि राम रथ चक्र सुधार्यौ।
इकलग पूठी एक बिना सल तबै बिचार्यौ।
परस गयौ ज़हाँ भूपति चित सूं चकित चरणैं नयौं।
राघव समरथ रामजी भक्ति करत यूँ बस भयौ॥
राजस्थान रै दूजै भक्तमालकार खेड़ापा रा संत दयालदासजी भी परसजी खाती रौ बखाण इंण भांत कियौ है -
तोडै मेलौ सन्त मेड़तै भूप बुलायौ।
राजकाज भय छोड़ साध दरसण कूँ ध्यायौ।
भगवत धर अवतार सुत को कारज कीयौ।
सैलँग पूठ्यौ सही भगत परचै सुख दीयौ।
पेख न्रपत सिख हुय सबै चरण सरण अवलाखियै।
परसराम की साख सुणि जन दरसण पण राखियै॥
राजर्षि पीपाजी रै बतायोड़ै मारग रौ अनुसरण कर साधना करतां- करतां परसजी सिद्ध संत हो गिया। वै एक निरगुण संत रै सागै ही चावा वाणीकार भी हा। 'कलरु' गाँव में आज भी आपरी स्मृति शेष है। आपरा वंशज आपरै मंदिर रै पुजारी हैं। आपरै गांव में आज भी लोकश्रुति है कि आप रामानंदीय वैष्णव होवतां थका भी भगवान री निरगुण उपासना-पद्धति रा संत हा। आपरै समै रै कई राजा-महाराजावां रै सागै आपरो संवाद-भेंटवार्ता अर भगति रै प्रताप सूं कई सारा चमत्कार अर लोक कल्याणकारी काज सारणै रौ महताऊ काम आपरी कीर्ती अर जस रौ आधार है।