नंद भारद्वाज
सिरैनांव कवि-कहाणीकार-संपादक अर उल्थाकार।
सिरैनांव कवि-कहाणीकार-संपादक अर उल्थाकार।
जन्म: 01 Aug 1948 | माडपुरा,भारत
नंद भारद्वाज रौ जलम 1 अगस्त 1948 मांय बाड़मेर जिलै रै माडपुरा गाम मांय हुयौ। वांरी साख राजस्थानी-हिन्दी रा चावा कवी, कथाकार, आलोचक, अनुवादक अर मीडियाकर्मी रै रूप में है। आठवें दसक री राजस्थानी कविता जिण तरै पसवाड़ो फोरै, नंद भरद्वाज उण टर्निंग पॉइंट रा साक्षी कवि है। वांरै कविता संग्रै 'अंधार पख' अर ‘आगै अंधारौ' में पूरी गैराई अर भासा रै साथै कविताई व्ही है। वांरै चर्चित उपन्यास 'सांम्ही खुलतौ मारग’ में कस्बै अर नगर बिचाळै पसरियोड़ी मध्यम वरग री आ कथा पळता-पोखीजता अर टूटता-बिखरता समाजू संस्कारां नै सांम्ही राखै अर समाज रै जीयां-जूण हालतां नै कीकर काबू पा सकै इण बात नै आपरै हाथां सूं गद्य री टकसाळी भासा मांय पेस करण री सांतरी खेचळ करी है। वांरै कहाणी संकलन 'बदळती सरगम' में भासा-सिल्प रै साथै परिवेस री बारीकियां आछी तरिया प्रगट हुवी है।
नंद भारद्वाज री ओळखाण आलोचक रूप ई सवाई है। वांरी आलोचना पोथी 'दौर अर दायरौ' अर ‘साहित्य आलोचना री आधार भोम’ राजस्थानी साहित्य में महताऊ ठौड़ राखै। राजस्थानी भासा मांय आलोचना विगसाव अबार पैला-दूजा पायदान पै ई है अर आप इण कमी नै पूरी करण री महताऊ कोसीस करी है। अल्बेयर कामू रै उपन्यास ‘द स्टैंजर’ रौ राजस्थानी उल्थो ‘बैतीयांण’ अर मृदुला बिहारी रै हिन्दी उपन्यास रौ राजस्थानी उल्थो ‘पूरणाहूति’ पण करयो।
राजस्थान साहित्य अकादमी सूं 'राजस्थान के कवि' श्रृंखला रै तीजै भाग 'रेत पर नंगे पांव', नेशनल बुक ट्रस्ट ट्रस्ट इंडिया, नई दिल्ली सूं आजादी पछै री राजस्थानी कहाणियां रै संकलण 'तीन बीसी पार', साहित्य अकादमी अकादमी, नई दिल्ली सूं आजादी पछै री राजस्थानी कवितावां रै संकलन 'जातरा अर पड़ाव' रौ संपादन पण कियौ। नंद भारद्वाज नै राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर सूं नरोत्तमदास स्वामी गद्य पुरस्कार, दूरदर्शन महानिदेशालय सूं विशिष्ट सेवा पुरस्कार, 'सांम्ही खुलतौ मारग' माथै केंद्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार, के. के. बिड़ला फाउंडेशन रौ 'बिहारी पुरस्कार अर राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी सूं सूर्यमल्ल मीसण शिखर समेत अलेखूं पुरस्कार मिल्या है। वां लम्बे समय तक राजस्थानी री साहित्यिक पत्रिका' हरावळ' रो संपादन पण करियो।