मेहा गोदारा
राजस्थान रा राम भक्त संत जिका राजस्थानी री पैली रामायण लिखी। इण रौ सम्बंध गुरु जांभोजी रै 'विश्नोई पंथ' सूं है।
राजस्थान रा राम भक्त संत जिका राजस्थानी री पैली रामायण लिखी। इण रौ सम्बंध गुरु जांभोजी रै 'विश्नोई पंथ' सूं है।
आडा डूंगर वीझवंग
अठसठ तीरथ जो पुंन न्हायां
बादळ दी वरसंणां
बंद्यौ न छूटै देवता
बंद्यौ न छूटै देवता
बीभीषंण लंका पाटि बसांण्यौ
चौपड़ि मांडी चौहटै
छेड़ा फिरै राजा राम रा
दहसिर दोड़ा मेल्हिया
दससिर माथा खड़हड़या
धरती माता बाहरयौ
धोरी धंणख चहोड़ियो
धोरी धंणख चहोड़ियौ
गहली मुंध मंदोवरी
गहली मुंध मंदोवरी
घड़ौ ज्यौ सोवंन मिरघ सरोवरां
घंण ज्यौं बूठा बांण क
हीर झलकै हिरण रै
हुवौ रामायण रावंण मारयौ
हंणवंत सारै वीनती
जितरो तेज पुवंण अर पांणी
कै मुवौ कै मारियौ कै
कर जोड़े कहै केकवी
कूड़ा लछमंण धंणहड़
कुंभकरण अर भाभरो
लछमण बांण संजोवियो
लछमंण रांम पधारिया
लंक नगर को लोक सोह
लंक उपाडू सूं जड़ा
लंक विळूधा बांदरा
माहे जाळ न मौरिया
मारयो दोढ़ो भाभरौ
मारयो दोढ़ो भाभरौ
मुगट पड्यौ महि ऊपरै
नदरि पयाळ अकास सिर
पेसौ कीयौ दांणवां
पूंछड़ सूत पळेटि कै
राम कौसल्या सुमता लखंण
राम खंणावै रांमसर
राम खंणायो रामसर
रांम खंणावै रांमसर
रांम रोवै लछमंण धीरावै
रावंण मार् यो देव ज छूटया
रावंण संवौ न राजवी
सत सीता जत लखमंणां
सत सिवरयौ सीता तणौ
सीता मंन्य आणंद हुवौ
सीतां ल्याई भीखड़ी
सोवंन कळस रचावियौ
सोवंन लंक खळो करि गाही