किशन ‘प्रणय’
नूवी पीढ़ी रा ऊरमावान कवि-लेखक।
नूवी पीढ़ी रा ऊरमावान कवि-लेखक।
किशन ‘प्रणय’ रो जलम 03 मार्च 1992 नै कोटा (राजस्थान) जिलै रै मांय हुयो। आप भणाई स्नातक ताईं करी, उण रै पछै आप राजस्थान शिक्षा विभाग मांय अध्यापन रो लूंठो कारज कर रैया हो, आप लेखन विधा मांय राजस्थानी अर हिन्दी बरोबर लिखण लाग रैया हो।
आपरी छप्यौड़ी पोथ्यां इण भांत है- तत् पुरुस, पंचभूत, अंतरदस, (राजस्थानी काव्य संग्रै) अर अबखाया का रींगटां अर गाम परगाम ने मौसर (माळवी,राजस्थानी उपन्यास)। गद्य री विधा मांय ‘सोहणी रात अर धूजता हाथ’ राजस्थानी कथेतर गद्य पण लिख्यो।
हिन्दी मांय ‘बहुत हुआ अवकाश मेरे मन’,’बरगद में भूत’ अर ‘प्रणय की प्रेयसी’ आद हिन्दी मांय काव्य संग्रै लिखण री सांतरी खेचळ करी। उपन्यासकार अर कवि रै रूप मांय आप राजस्थानी काव्य संग्रै अंतरदस’ रै मांय जीवण रै दारसनिक भावां रै साथै सामाजिक जथार्थ नै सांमी राखण री चावी ठोड़ राखो अर इण साथै मिनख जूण री अबखाईयां नै कागद माथै उकेरण री सांतरी खेचल करी है। आपरी रचनावां आकासवाणी अर दूरदरसन सूं परसारित हुई है।