कवि-लेखक।
अंगूठो
बै अर म्है
बिना बुलावै
महंगाई
ओळ्यूं
आपो आप संभाळ भायला
देख दिनाँ का फेर चिड़कली
बाबू
मत चिलकावै ठाठ भायला