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हेमरतन सूरि

  • Marwar

जैन मुनि। जैन धर्म ग्रंथां रे अलावा 'गोरा-बादल पदमणि चउपई', 'सीताचरित', 'शीलवती कथा', 'अभयकुमार चउपई' आद रचनावां रा रचनाकार।

हेमरतन सूरि रौ परिचय

राजस्थानी साहित्य जगत में हेमरतन रो नाम प्रसिद्ध अर प्रतिष्ठित है। पण उणां रै जीवन संबंधी कोई विशेष जाणकारी उपलब्ध नीं है। क्यूं कै राजस्थानी कवियां आपरै वर्ण्य विषय रै प्रतिपादन कानी ध्यान राखियो पण आपरी ओळखांण थापित करण री कम इज चेष्टा करी। ओ ई कारण है कै मोकळै राजस्थानी कवियां री पारिवारिक अर सामाजिक जाणकारी उपलब्ध नी है।
पंदरवै सईकै सूं सतरहवे सईकै तांई रो समै राजस्थानी साहित्य रै चरम विकास रौ जुग मान्यौं जावै। इण काव्य खंड में राजस्थानी भाषा अर साहित्य री विविध प्रवृत्तियां रौ विगसाव हुयौ। इणी काळ खंड में जैन साहित्य री अनेक रचनांवा लिखीजी। इण रचना नायकां रौ चरित्र बखाणणजोग अर वरेण्य हो इणी कारण उणां रा थापित आदर्श समाज में लोक प्रिय हुया। जैन कवियां जैनेतर नायकां अर विषय नै ग्रहण कर'र रचनावां प्रणीत करी। इण दिशा में बात करां तो जैन कवियां कई उत्तम कोटि री रचनावां रच'र समाज अर राज में आदर व श्रध्दा रा भागी बण्या। जैन कवियां रा रचित चरित काव्य राजस्थानी भाषा साहित्य री अनमोल निधि रै रूप में समादृत है। हेमरतन ई इणी श्रेणी रा जैन कवि हा, जिणां जैनेतर नायकां रो चरित्र उजाळण सारू चरित काव्य प्रणीत कर्यो। यूं तो हेमरतन रा कई ग्रंथ खोज में मिल चुक्या है। पण शोधार्थियों रो मत है कै अजैई खोज करियां हेमरतन रा कुछ ग्रंथ मिळ सकै।
हेमरतन री रचनावां ना खाली साहित्यिक सामग्री सूं परिपूर्ण है बल्कै इतिहास री दीठ सूं ई महताऊ है। उणां री सैं सूं सिरै रचना 'पदमणी चउपई' मानी जावै। इण कृति नै इतिहास सूं संबद्ध मानता थकां ई समालोचकां पूरी ऐतिहासिक नी मानी है। आ बात सही भी है क्यूं कै कवि रो उद्देश्य सरस साहित्य सिरजण हो ना कै इतिहास नै प्रकास में लावणों। 'पदमणी चउपई' रौ रचनाकार कवि है, इतिहासकार नीं है। उण रौ उद्देश्य लोकप्रिय चरित्रां नै लोकप्रिय काव्य शैली में चित्रित कर'र उण रै आदर्शां नै लोक जीवण में थापित करणो हो।
हेमरतन री रचनावां गद्य परम्परा, शिक्षा, ज्ञान, अनुभव, तत्संबंधी इतिहास आद रौ संकेत सूत्र छोड़े।
जैन धर्म में दीक्षित होयां पछै हेमरतन रो माता-पिता सूं संबंध टूट गियो। सो कवि आपरी पारिवारिक पृष्ठभूमि री ओळखांण नीं देय'र गुरु परम्परा री ओळखांण दी है।
हेमरतन री प्राप्य रचनावां री विगत इण भाँत है- अभय कुमार चउपई, महिपाल, गोरा बादल पदमणि चऊपई, शीलवती कथा, रामरासौ, सीता चरित, जदवा बावनी, शनिश्चर छंद आद।
हेमरतन रौ रचना काल वि.स. 1636 सूं 1673 रै बिचाळै मान्यौ जावै। 28 बरसां री लंबी अवधि में हेमरतन राजस्थानी साहित्य अर भाषा री महताऊ सेवा कर'र साहित्य जगत में जस प्राप्त कियो। हेमरतन आपरी रचनावां में कठैई जैन धर्म रौ प्रचार नीं करियो है। हेमरतन का काव्य नायक ऐतिहासिक, लोक प्रिय अर राजवंश सूं संबधित है। जिण वंश में महाराणा प्रताप जैड़ा वीर हेमरतन रा समकालीन हा, जिणां माण, मरजाद अर स्वातंत्र्य प्रेम री ओळखांण दीन्ही। हेमरतन आपरी इणी कृति में महाराणा प्रताप रै विषय में लिखै-

'पृथ्वी परगट राण प्रताप, प्रतपई दिन दिन अधिक प्रताप।'

''पदमणी चउपई' एक वीररस प्रधान रचना है। जिण में गोरा अर बादळ जैड़े आण री रक्षा करणिये सूरां रो सुजस अंकित है। इण सूरां भारतीय नारी रै सतीत्व री रक्षा सारू आपरा प्राण न्यौछावर कर दिया।

'गोरा रावत अति गुणी, बादळ अति बळवंत।
बोलिसुं वात तिहुंतणी, सुणिजो सगळा संत।
विरद बुलावई बादिल घणां, सांमि धरम सतवंतां तणां।
इसउ न कोई हुउ सूर, त्रिहु भवणै कीधउ जस पूर।
पदमिणि राखी राजा लीउ, गढनउ भार घणउ झालीउ।
रिणवट करी नइ राखी रेह, नमो-नमो बादिल गुणगेह।।'

भाव भाषा अर काव्य री दीठ सूं हेमरतन री रचनावां महताऊ है। शैली पारंपरिक जैन शैली है पण भाषा री बणगट अर सम्प्रेषणीयता सहज है। कुळ मिळाय'र कैयो जा सकै कै हेमरतन राजस्थानी साहित्य रा सिरै सिरजणकर्ता है, जिणां आपरी वाणी सूं राजस्थानी भाषा अर साहित्य नै रातो-मातो कियो अर खुद लोकप्रियता रै शिखर माथै पूगा।