
दूदो विसराल
पन्द्रहवैं सईकै रा कवि। ’राठौड़ रतनसिंह री वेलि’ नामी रचना।
पन्द्रहवैं सईकै रा कवि। ’राठौड़ रतनसिंह री वेलि’ नामी रचना।
पन्द्रहवैं सईकै रै उत्तरार्द्ध रा कवि दूदो विसराल सूं जुड़्योड़ी घणी जाणकारी अजेस नीं मिळी है पण वां री रचना ’राठौड़ रतनसिंह री वेलि’ मध्यकाल री घणी चावी रचनावां में गिणीजै। इण रचना में कवि दूदो जैतारण रा सासक रतनसिंह ऊदावत री वीरता रौ वरणाव कर्यो है। अकबर रै जैतारण माथै हमलै रै बगत रतनसिंह अणूती वीरता सूं उणरौ मुकाबलौ करै। इण जुद्ध रौ वरणाव वेलि में कवि कर्यो है। आ वेलि वीर अर सिंणगार रस रौ सांतरौ मळे कैयी जा सकै। अैतियासिक दीठ सूं रतनसिंह अर अकबर री फौजां बिचाळै रौ ओ जुद्ध संवत 1614 मांय हुयौ। इण दीठ सूं वेलि रौ रचनाकाल 1614-15 रै लगैटगै रौ मानीजै।