भट्टारक नरेन्द्रकीर्ति
जैन संत अर भट्टारक देवेन्द्रकीर्ति रा सिस्य।
जैन संत अर भट्टारक देवेन्द्रकीर्ति रा सिस्य।
खंडेलवाल वंस री सौगाणी गौत्र मांय जलम्या नरेन्द्रकीर्ति भट्टारक देवेन्द्रकीर्ति रा सिस्य हा अर आपरै बगत रा चावा जैन धरम प्रचारक हा। वां रौ प्रचार खेतर राजस्थान रै साथै-साथै मेवात अर दिल्ली तांईं रौ हो। वां रै बगत मांय जैन धरम री साखावां में वैचारिक मतभेद बधतो जाय रियो हो अर ’बीस पंथी’ अर ’तरे हपंथी’ नांव री साखावां में अेक दूजै री धारमिक पद्धतियां माथै सवाल ऊभा करीजण लागग्या। नरेन्द्रकीर्ति ’बीस पंथी’ साख रा अनुयायी हा अर उणरै पख में आपरा तर्कपूर्ण पड़ूत्तर प्रस्तुत कर्या। वै धरम प्रचारक हुवण रै साथै सांतरा रचनाकार ई हा। वां री रचना ’तीर्थंकर चैबीसना छप्पय’ सिरैनांव री रचना अजेस साम्हीं आई है जिणमें जैन धरम रा तीर्थंकरां बाबत विवरौ प्रस्तुत करीज्यो है। भट्टारक नरेन्द्रकीर्ति रचित साहित्य जैन साहित्य री घणमोली धरोहर है।