भरत ओला
चावा कवि-कहाणीकार। तिमाही पत्रिका 'हथाई' रा संपादक।
चावा कवि-कहाणीकार। तिमाही पत्रिका 'हथाई' रा संपादक।
जन्म: 06 Aug 1963 | भिरानी,भारत
डॉ. भरत ओळा रौ जलम 6 अगस्त 1963 नै हनुमानगढ़ जिले रै गाम भिरानी मांय हुयौ। वांरी साहित्य जातरा बाळपणै में मां सूं सुणेड़ी कहाणियां अर स्कूल री लाईब्रेरी सूं लेय’नै भणेड़ी पोथ्यां रै पाण सरू हुयी। वांरै लेखण री सरुआत हिन्दी मांय हुयी, पछै वै राजस्थानी कानी मुड़्या। वांरी पैली लघुकथा ‘बगत रौ मौल’ छपी। राजस्थानी में आपरी तीस पोथ्यां छप्योड़ी है, जिण मांय ‘जीव री जात’, ‘सेक्टर नं.पांच’, ‘भूत’, ‘कित्ती कहाणी खतम’, ‘घुळगांठ’, ‘घुळगांठ माथै घुळगांठ’, ‘बेलिंगी’, ‘नॉट रीचेबल’, ‘साखीणी कथावां’, ‘सरहद के आर-पार’, ‘बेहतर जिंदगी’, ‘भरत ओला की चुनींदा कहानियां’,’आपणो राजस्थान’ आद सामिल है। वांरी अलेखूं रचनावां रौ राजस्थानी सूं बीजी भाषावां मांय उल्थौ हुयौ। उपन्यास ‘घुळगांठ’ नै पांच भारतीय भासावां रा पांच चर्चित उपन्यासां मांय सामल करीज्यो। वांरी ख्यात कहाणी ‘जीव री जात’ माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान अर कहाणी ‘उंडी आग’ महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर रै राजस्थानी पाठ्यक्रम मांय सामिल है। राजस्थानी भाषा मान्यता आन्दोलन सूं आपरौ जुड़ाव महताऊ है। अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति रा संस्थापक प्रदेशाध्यक्ष रैवता थकां वां राजस्थानी भाषा री मानता री समूचै प्रदेश मांय अलख जगाई। वांनै अलेखूं मान-सम्मान मिल्या है, जिणमें राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर रौ ‘मुरलीधर व्यास राजस्थानी कथा साहित्य पुरस्कार’, केंद्रीय साहित्य अकादेमी पुरस्कार रौ सर्वोच्च पुरस्कार सामिल है। वै राजस्थानी री महताऊ पत्रिका ‘हथाई’ रौ संपादन पण करै।