आचार्य सोमकीर्ति
पन्द्रहवैं सईकै रा जैन संत।
पन्द्रहवैं सईकै रा जैन संत।
आचार्य सोमकीर्ति पन्द्रहवैं सईकै रा लूंठा विद्वान, साहित्यकार अर मानीता जैन संत हा। वै सुभाव सूं स्वाध्यायी अर आत्मसाधना में लीन रैवणियां संत हा। आचार्य सोमकीर्ति संस्कृत, गुजराती, प्राकृत अर राजस्थानी भासावां माथै सांतरौ अधिकार राखता अर वां आपरौ घणकरौ साहित्य राजस्थानी अर संस्कृत में लिख्यौ। वां रै जीवण रौ घणकरौ बगत राजस्थान अर गुजरात भ्रमण मांय बीत्यौ। आचार्य सोमकीर्ति रै निजू जीवण बाबत पुख्ता जाणकारी नीं मिलै। वै जैन धरम री नंदीतट साखा रा संत हा अर संवत 1518 में भट्टारक री पदवी माथै पूग्या। वां जैन संत परम्परा नै विगतवार लिखित रूप दियौ अर कैई रचनावां रौ ई सिरजण कर्या। वां संस्कृत में सप्तव्यसनकथा, प्रद्युमनचरित्र अर यशोधरचरित्र रचनावां रौ सिरजण कर्यो। राजस्थानी में वां गुर्वावली, यशोधर रास, रिखभदेव की धूलि, मल्लिगीत, आदिनाथ वीनती अर त्रेपनक्रिया गीत आद रचनावां लिखी। आचार्य सोमकीर्ति लूंठा विद्वान अर भासावां रा गूढ़ जाणकार हा पण वां री रचनावां री भासा घणी सहज अर सरल है अर पाठक रै हिरदै में उणारा भाव सीधा उतरणै री दीठ सूं सफळ कैयी जा सकै। पन्द्रहवैं सईकै रा जैन संत रचनाकारां में आचार्य सोमकीर्ति रौ नांव घणै आदर साथै लियौ जावै।