अरजन काढी आखड़ी, दिल मां आई दया।

अहमन अरजन सूं मिल्यौ, जैदरथ मारयौ जाय॥

भावार्थ:- चक्रव्यूह भेदण रै बगत अभिमन्यु रै अवसान सूं अरजुन कौरवां माथै अणूता नाराज़ होया अर क्रोध प्रकट कियौ। साथै ही अभिमन्यु नै इण स्थिति रै मांय देख'र अरजुन रै हियै मांय दया रौ भाव उमड़्यौ। अरजुन जैदरथ रौ वध करनै श्रीकृष्ण री लीलावां सूं अभिमन्यु सूं मिलण रौ बखाण इण प्रसंग रै मांय कियौ है।

स्रोत
  • पोथी : पोथो ग्रंथ ज्ञान ,
  • सिरजक : डेल्हजी ,
  • संपादक : कृष्णानंद आचार्य ,
  • प्रकाशक : जांभाणी साहित्य अकादमी, बीकानेर
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