सोवणी द्वारका सूं आयो गिरधारी।

तुंवरां रौ बिड़द बधायो हद भारी।

हर सरणै भाटी हरजी बोले।

धोळी धजा रौ धणी है गिरधारी॥

स्रोत
  • पोथी : बाबै की वांणी ,
  • सिरजक : हरजी भाटी ,
  • संपादक : सोनाराम बिश्नोई ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रन्थागार , जोधपुर (राज.) ,
  • संस्करण : तृतीय
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