सांवरा थांका दासी नै, कदे तो याद कीज्यो जी॥
मैं औगुण की झाज सांवरा, (म्हारा) औगुण गुण कर लीज्यो जी।
मैं अनाथ तुम नाथ जगत के, भूल बिसर मत दीज्यो जी।
राधा, रुकमणि अरु सतभामा, कुबजा ज्यों संग लीज्यो जी।
कहत ‘समान’ सुणो जी निरंजन, (म्हारो) चित्त चरणां में लीज्यो जी।