कोई कछू कहे मन लागा ॥टेक॥
ऐसी प्रीत लगी मनमोहन, ज्यूँ सोने में सुहागा।
जनम जनम का सोया मनुवां, सतगुर सब्द सुण जागा।
माता पिता सुत कुटम कबीला, टूट गया ज्यूं तागा।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, भाग हमारा जागा॥