काम सीलता क्रोध दह,मनिसा लहै न मध।
तन सरवर मंन मछ्ली,अइया नीर अथाह॥
सुरिजन एक सरीर मां ,तन मन का गुण जोय।
तन मुंडया तै भैख है, मन मुंडया गति होय॥