काजी कथै कुराणों।

चीन्हों फरमाणों।

काफर थूल भयाणों

जइया गुरु चीन्हों।

तइया सींघ्या मूलूं।

कोई कोई बोलत थूलूं॥

यद्यपि काजी कुरान का कथन करता है किंतु उसने कुरान की आज्ञा को नहीं पहचाना। ऐसा होने कारण वह काफिर और “थूल” हो गया। जिसने गुरु परमात्मा को नहीं पहचाना और उसने मूल परमेश्वर को सींचा अर्थात् आराधा। वह मूर्ख अज्ञानवश कुछ का कुछ बोलता रहता है।

स्रोत
  • पोथी : जांभोजी री वाणी ,
  • सिरजक : जांभोजी ,
  • संपादक : सूर्य शंकर पारीक ,
  • प्रकाशक : विकास प्रकाशन, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम
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