जोग पंथ है झीणो, पैणो होय पीणो, लख लेणो सार असार॥टेर॥
पोल री गळियाँ बहुत है रे, जोग पन्थ रे माँय।
सीधा होय ने चालज्यो रे, फँसिया तो निकळोला नाँय रे॥
जंत्र ने मंत्र ने तंत्र सिद्धाई, ए तो झपटेला आय।
कहे महाराज न आवे ध्यावे, पकड़ ने देसी गिराय रे॥
होय जोगी कोई जुलम मती कीजो, दुख अनन्त होय जाय।
ओ तो डूबे भलाँई डूबो, पर जन्म अनन्त निकळो नाँय रे॥
मान कहे मैं तो जोगी न हुआ, रंगिया न भगवाँ भेष।
देवनाथ उपदेश दियो म्हाँने, निश्चय कर जोयो वो देश रे॥