काजी कथै कुराणों।
न चीन्हों फरमाणों।
काफर थूल भयाणों ।
जइया गुरु न चीन्हों।
तइया सींघ्या न मूलूं।
कोई कोई बोलत थूलूं॥
यद्यपि काजी कुरान का कथन करता है किंतु उसने कुरान की आज्ञा को नहीं पहचाना। ऐसा न होने कारण वह काफिर और “थूल” हो गया। जिसने गुरु परमात्मा को नहीं पहचाना और न उसने मूल परमेश्वर को सींचा अर्थात् आराधा। वह मूर्ख अज्ञानवश कुछ का कुछ बोलता रहता है।