दोस नहीं थारै में दोसत, दोस तिहारी दाई नै।
नाळै साथे नाड़ न काटी, धाई रांड बधाई नै।
माता पिता में दोसण मोटौ, प्रथम मिळ्या सुख पाई नैं।
नग दोनां मिळ औ निपजायौ, हिया फूट हरखाई नै॥
पेट मांय खोटी पुळ पड़ियौ, मेटण कुळ मगजाई नै।
गिरियौ हाथ गजब रौ गोळौ, अैब गैब रौ आई नै॥
कर दिल काठो दियो न दाटो, मन माठौ मुरझाई नै।
उरसूं काठो आगे पड़ियाँ औ भाटो जद आई नै॥
पेट कपूत सपूत परखियो, खोद न दीनौ खाई नै।
लख लांणत मिनकी नें लागी, उण वेळा नहिं आई नै॥
पढणीं वेळा में पग फावे, पढ्यां विचै पोमाई नैं।
करै दलील जिकां सूं कोई, लाधे त्यार लड़ाई नै॥
मारण मारण समझे मूरख, तारण लखे न ताई नै।
रात दिवस हिंसा से राजी कर दें मात कसाई नैं॥
महा कपूत मुलक रे मांही, लेंण सपूत लड़ाई नैं।
पोल मांय ऊमर पद पड़ियाँ, सुघड़ लेख सुघड़ाई नै॥