आखर सूं आखर
A collection of phrases such as proverbs, riddles, chants, prayers etc.
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रावण वध
दोहा
रांण चढ़े कस रोप रिण, येम धरे उर आव।
श्रग वरणा करणूं सुजस, है मरणों ही साव॥
गीत- त्रिकुट बंध
कुळ भ्रात मंत्री सुत कटे, उर क्रोध रावण ऊपटे।
मन समझ नहचै थटे मरणों, सजे घण घमसांण॥
वध ओप वाजत्र वाजिया, सझ रोप वगतर साजिया।
कस कमर बडकर गहर कर, धर धजर आवध सधर धर॥
चढ़ चले रथ पर ढुर चमर, भड़ अवर निसचर रिण भंवर।
भिळ चहुर मूछां भुहर भर, वज पखर गूघर भिड़ज वर॥
गज चीर फरहर खुल अगर, झुक अतुर लोयण अगन झर।
अर अवियो आरांण॥1॥
निरसंक असुर निहारियो, धनु धरण धानुख धारियो।
भूथांण बांधे करण भारथ, रोष धर रघुवीर॥
सेसादि अंगद साथ रा, कप हाकेल जुध काथरा।
रिण रीछ मरकट जयत रट, भट प्रगट गज ठट कज सुभट।
झट गरट गिर थट गह झपट, नट जेम बूघट कर निपट॥
बज खंभ आहट हुय विकट, हद कियग खळ षट लाग हट।
बळ अमट ऊवट गयण वट, द्रढ दनुज दहवट कज दपट॥
भट भिड़े वीर सधीर॥2॥
बे तरफ भड़ वेढिंग रा, जूटा हंगामी जंग रा।
कस मसक धरणी कसक कूरम, ससक नासा सेस॥
उड गिरद छव असमांण नूं, भरपूर ढांके भाण नुं।
जळ उझळ झळ झळधार जळ, चळ विचळ दिग्गज अचळ चळ॥
बड जीव जळ थळ विकळ वळ, संध मेर सळसळ हुए सकळ।
दुहुं ओर हूकळ कळळ दळ, वध वहै वीजू जळ विमळ॥
सुर असुर दमगल लख सकळ, थक प्रबळ ऊथळ पथळ थळ।
इळ हुवे सकळ असेस॥3॥
हुय हाक बीरां हड़हड़े, धर धूज कायर धड़ धड़े।
वज तवल तूर निघोष बंबी, सरां सोक असंक॥
तस जंत्र जंत्री ताणिया, वरमाल गह गिरवाणियां।
घण वहण लोहण संघण घण, हुय गजण कण कण असण हण॥
वप तीर छण 2 रंध्रवण, हय हींस हण हण मचग हण।
तरवार खण खण तूट तण, पण मंत्र भण भण रसण पण॥
गहवगां जण जण अगण गण, मुरभवण कंपण लगण मण।
लंकाळ धूजिय लंक॥4॥
धम जगर माथो धूधड़े, असमरां धड़चा ऊधड़ै।
घण घाव कलह कबंध घूमत, गुड़े भिड़ज पतंग॥
पग धरे लोथां ऊपरे, कप वाह असुरां पर करै।
सिर तड़क तूटत झड़ कसक, धड़ गरक सम हर धधक धक।
जस किलक वक वक मुख जपिक, भुव खळक रुधरक भभक भक॥
छिल बहत धक धक अछक छक, अंतराल गरळक ढुळ इधक।
फीफरउ फरड़क नद फरक, हुय विढ़क हक हक, वीरहक॥
खित गहक सूर खतंग॥5॥
मह कहर आवह माचियो, खूंदाळ खित रवि खांचियो।
छिव अरस विवुध विमांण छायो, इंद्र आद असेस॥
किलकार काळी किलकिलै, कंमाळ धारक बिलकुलै
नृत करत नारद गत अनंत, रत सगत किलकत पियत रत।
सुर सरत धर सिर भरत सत, पल चरत पलचर अघत अत।
मिल अछर हरषत चित महत, पख निरष वीरत वरत पत।
खग गिलत गुंदा तत अखत, वर्ण असत परवत मेरवत॥
सह त्रिपत विहंग विसेष॥6॥
बड़ झड़े असुर विलोकिया, झुक सस्र सिरदस झोकिया।
सुग्रीव मूसळ सुलभ अंकुस, पटिस नील प्रचंड॥
सिल विकट फरस सुखेण रे, तिरसूल ग्वायख तेण रे।
भिंडपाल गजगव विटप भड़, धिख गदा वभीषण उवरधर॥
हणु तुमर केहर कूंतहर, कर करत दुय दसमुख चकर।
सझ सगत लिखमण हरत्रिसर, भड़ अवर आवध अमर भर।
डर देख निज दल हुय अडर, कर क्रोध रघुवर धुल कहर॥
कर सधर धर कोमंड॥7॥
किय चाप आक्रत कुंडल, इषु छोड़ छेदे ऊंडला।
दससीस दुजै सीसदस रा, दड़क दूर दराज॥
लंकेस झाड़ियों लंगरी, जै हुई राघव जंगरी।
हुय सबद अणहद अरस अध, मिल सुमन वरषे गिरदमध।
सुर सुरपतादिक सुरब सुध, विध कहवि गदगद विरद बध।
असुरांण जद जद भय असध, प्रभु साय तद तद किग़ प्रसिध।
खल अखल वद वद समर खुद, वर निरख रावण कियण वध।
धन धिनो अवधधिराज॥ 8॥