न्याय जगावै, एक बतावै, भलौ बुरौ करताइंदा।

अणभी नाटै, सुमरण साटै बुरे करम भलौ साइंदा।

मेमच जाणै करम बखाणै, कट्या ब्रह्म होइ जाइंदा।

अणभी करता सुमिरण धरता, मन के अघ मिटाइंदा॥

स्रोत
  • पोथी : रामस्नेही संत स्वामी देवादास व्यक्तित्व एवं कृतित्व ,
  • सिरजक : स्वामी देवादास जी ,
  • संपादक : शैलेन्द्र स्वामी ,
  • प्रकाशक : जूना रामद्वारा चाँदपोल , जोधपुर-342001
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