उत्तम कहि कहि डूबिये, नहीं पायो तत सार।

शूद्र वर्ण के में सुण्यो, राम नाम अधिकार।

राम नाम अधिकार, कलू में सार बतायो।

एकादश में कृष्णदेव, अपने मुख गायो।

आत्म युग युग के धर्म, समै समै अधिकार।

उत्तम कहि कहि डूबिये, नहीं पायो तत सार॥

स्रोत
  • पोथी : श्री महाराज हरिदासजी की वाणी सटिप्पणी ,
  • सिरजक : स्वामी आत्माराम ,
  • संपादक : मंगलदास स्वामी ,
  • प्रकाशक : निखिल भारतीय निरंजनी महासभा,दादू महाविद्यालय मोती डूंगरी रोड़, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम