उठी अचूंका बोलणा नारि पयपै नाह।
घोड़ाँ पाखर धमधमी सींधू राग हुवाह॥
हुवौ अति सींधवौ राग वागी हकाँ।
थाट आया पिसण घाट लागै थकाँ॥
अखाड़ाँ जीति खग अरि घड़ा खोलणा।
ऊठि हरधवळ सुत अचूंका बोलणा॥