किया किया सब देखिये, हरिजी का विस्तार।

निरबल हुय गुण गाइयै, आपा गरब निवार।

आपा गरब निवार, धार सतगुरु का सरणा।

काम क्रोध मद लोभ, तास संग लाग जरणा।

सेवग सिंवरौ राम को, ग्यान ग़रीबी धार।

किया किया सब देखिये, हरिजी का विस्तार॥

स्रोत
  • पोथी : श्री सेवगराम जी महाराज की अनुभव वाणी ,
  • सिरजक : संत सेवगराम जी महाराज ,
  • संपादक : भगवद्दास शास्त्री, अभयराज परमहंस ,
  • प्रकाशक : फतहराम गुरु मूलाराम, अहमदाबाद ,
  • संस्करण : प्रथम
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