संत शब्द न्यारे नहीं, राखो हृदय मांहि।
सत्य प्रमाणी भाव सूं, नांव नांव लग जाहि।
नांव नांव लगि जाहि, पाइये मुक्ति बसेरा।
निज तत परसै जाय, काल का पड़े न घेरा।
आत्म सुमरण सुखलिया, दूजा दो जग जाहि।
संत शब्द न्यारे नहीं, राखो हृदय मांहि॥