सांई एहा भीचड़ा मोलि महूँगे वासि।
ज्याँ आछन्ना दूरी भौ दूरि थकाँ भौ पासि॥
रहै किमि पासि भौ राखियाँ रावताँ।
स्यामि रै कामि हणवँत जिसा सावताँ॥
खत्री गुर वासिया मोलि महूँगा खरा।
अरि घड़ा भाँजिसी भीच जसवंत रा॥