राम कहै सो साध है,दूजा साधन झूठ।

राम नाम साधन बिना, होसी सब जन ऊंट।

होसी सब जन ऊंट, वूंट कांटन को चरही।

ऊपर मुक्ता भार,धार ढोते बहु फिरही।

आत्म नाम सुमिरण किया, प्रगट चार्यूं पूंठ।

राम कहै सो साध है,दूजा साधन झूठ॥

स्रोत
  • पोथी : श्री महाराज हरिदासजी की वाणी सटिप्पणी ,
  • सिरजक : स्वामी आत्माराम ,
  • संपादक : मंगलदास स्वामी ,
  • प्रकाशक : निखिल भारतीय निरंजनी महासभा,दादू महाविद्यालय मोती डूंगरी रोड़, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम