मैं परणंती परखियौ सूरति पाक सनाह।
धड़ि लड़िसी गुड़सि गयँद नीठि पड़ेसी नाह॥
नाह नीठि पड़िसी खेत माँझी निवड़।
गयँद पड़िसी गहर करड़ घड़ भड़ गहड़॥
विढंतौ जसौ विसकन्या बाखाणियौ।
परणती कंथ चौ मुरड़ पहचाणियौ॥