ल्यावै लोड़ि पराइयाँ नहँ दै आपणियाँह।
सखी अमीणा कंथ री उरसाँ झूँपड़ियाँह॥
लोड़ि धर वार वर पराई ल्यावणा।
आपणी न दै भड़ जिकै अध्रियामणा॥
वरण कजि अपछरा वाट जोवै खड़ी।
ज्याँ भडाँ तणी झिल्लै उरस झूँपड़ी॥