किसन तणौ साम्हौ क्रमै चढ़तौ बाँकिम वींद।

नींदवतै नवतै नराँ अणभंग रहै अनींद॥

अभंग अणनींद भुजि खाग आवाहतौ।

पिसण घड़ पाड़तौ पूजवै सपत्तौ॥

घणा बाखाणियौ सु तेण पौरिस घणौ।

तेजमलि रहै छळि इसौ किसनै तणौ॥

स्रोत
  • पोथी : हालाँ झालाँ रा कुंडलिया ,
  • सिरजक : ईसरदास ,
  • संपादक : मोतीलाल मेनारिया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर ,
  • संस्करण : द्वितीय