केहरि छोटो बहुत गुण मोड़ै गयँदां माण।
लोहड़ बड़ाई की करै नरां नखत परमाण॥
नखत परमाण बाखाण वाधौ नरै।
आवगौ झूँझ रौ भार भुजि आपरै॥
मेटणौ भीड़ भुंजि गयंद री मोटियाँ।
छावड़ बळ हतै कळाइयाँ छोटियाँ॥