काळो मंजीठी कियाँ नईणै नींदालुद्ध।
अंबर लागौ ऊठियौ विढवा बंस विसुद्ध॥
बंस विसुद्ध वरीयाम साम्हौ विढण।
घणा दिसि दोइणाँ म्हाँलियौ विरद घण॥
थूरहथ धवळरौ थाट मैं वट थियौ।
काळ-चाळौ चखाँ चोळबोळाँ कियौ॥