कळपतरू ऊखलि पड़ै जसौ महा धू जाम।

माळाँ गाळाँ ठाम महि तिकौ सूझैं ताम॥

ताम सूझै कौ ठाम धवळह तणा।

घणा अन राइयाँ रूँख राखै घणा॥

ब्रवै काय रँभ रथ जूथ जाण सुवर।

पड़ै कवि-पंखियाँ जसौ धू कळपतरू॥

स्रोत
  • पोथी : हालाँ झालाँ रा कुंडलिया ,
  • सिरजक : ईसरदास ,
  • संपादक : मोतीलाल मेनारिया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर ,
  • संस्करण : द्वितीय